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मंगलवार, 17 अप्रैल 2007

राष्ट्रीय जल आयोग और हमारा नल

राष्ट्रीय जल आयोग-कार्यालय
के बाहर लगा नल
हमेशा
मेरे आते-जाते वक़्त
मुँह चिढ़ाता रहता है।

मैंने उसे कभी सूखा नहीं देखा
हमेशा
लार टपकाता रहता है
जैसे दिल्ली की
रमणियों का स्पर्श चाहता हो।

सिद्ध करता रहता है
कि भारत में
पानी की कमी नहीं है।

आने-जाने वालों
को तो उसके सुख-दुःख से
मतलब भी नहीं है।

रोज़ सुबह-सुबह
जब शौच भगवान
का अवतरण होता है
उस नल की याद आती है

एक वो नल
और यह हमारा!

काश!
कोई जल आयोगवालों को समझा पाता।


लेखन-तिथि- २३ जुलाई, २००६


भूमिका- जब तक सोनिया विहार का वाटर-प्लॉन्ट नहीं शुरू हुआ था, तब तक साउथ दिल्ली में पानी की बहुत किल्लत थी। उसी समय की आपबीती है। यद्यपि अब पानी की कमी का अंदाज़ा भी नहीं लग पाता है, मगर देश-दुनिया में बहुत सी ज़गहों पर इस तरह की परेशानी है।